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अंग्रेज़ों के साथ भारतीय युद्ध-
Sukhvinder Jaglan ✍️ ©
🎯प्लासी का युद्ध-
✌️युद्ध तिथि- 23 जून, 1757
✌️बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजों (सेनापति - राबर्ट क्लाइव) के मध्य
✌️अंग्रेज विजयी
✌️भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखी गई
🎯बक्सर का युद्ध-
✌️युद्ध तिथि- 22 अक्टूबर, 1764
✌️बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा दिल्ली के मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और अंग्रेजों (सेनापति हेक्टर मुनरो) के मध्य
✌️अंग्रेज विजयी
✌️अंग्रेजों की भारत में वास्तविक सत्ता स्थापित
🎯इलाहाबाद की संधि-
(राबर्ट क्लाइव द्वारा)
1.इलाहाबाद की प्रथम संधि (शाहआलम II से)- 12 अगस्त, 1765 ई.
2.इलाहाबाद की द्वितीय संधि (शुजाउद्दौला से)- 16 अगस्त, 1765 ई.
🎯कर्नाटक युद्ध-
(अंग्रेजों तथा फ्रांसिसियों के मध्य)
📌प्रथम युद्ध -
✌️वर्ष -(1746-48 ई.)
✌️कारण- ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार का युद्ध
✌️संधि- एक्स-ला शैपेल की संधि 1748
✌️परिणाम- अनिर्णीत
📌द्वितीय युद्ध -
✌️वर्ष - (1749-54 ई.)
✌️कारण- कर्नाटक के उत्तराधिकार का युद्ध
✌️संधि- पॉण्डिचेरी की संधि (1755 ई.)
✌️ परिणाम- अंग्रेज मजबूत स्थिति में रहे
📌तृतीय युद्ध -
✌️वर्ष - (1758-63 ई.)
✌️कारण- सप्तवर्षीय युद्ध एवं औपनिवेशिक कारण
✌️संधि- पेरिस की संधि (1763 ई.)
✌️ परिणाम- फ्रांस की पराजय
🎯आँग्ल - मैसूर युद्ध-
➡️ पहला युद्ध -
✌️युद्ध एवं वर्ष-
प्रथम ऑग्ल-मैसूर युद्ध (1767-1769 ई.)
✌️मैसूर के शासक- हैदरअली
✌️बंगाल का गवर्नर- लॉर्ड वेरेल्स्ट
✌️संधि- मद्रास की संधि (1769 ई.)
➡️ दूसरा युद्ध -
✌️युद्ध एवं वर्ष-
द्वितीय ऑग्ल- मैसूर युद्ध (1780-1784 ई.)
✌️मैसूर के शासक- हैदरअली
✌️बंगाल का गवर्नर- वारेन हेस्टिंग्स
✌️संधि- मंगलौर की संधि (1784 ई.) (हैदरअली की मृत्यु)
➡️ तीसरा युद्ध -
✌️युद्ध एवं वर्ष-
तृतीय ऑग्ल-मैसूर युद्ध (1790-1792 ई.)
✌️मैसूर के शासक- टीपू सुल्तान
✌️बंगाल का गवर्नर- लॉर्ड कॉर्नवालिस
✌️संधि- श्रीरंगपट्टनम् की संधि (1792 ई.)
➡️ चौथा युद्ध -
✌️युद्ध एवं वर्ष-
चतुर्थ ऑग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई.
✌️मैसूर के शासक- टीपू सुल्तान
✌️बंगाल का गवर्नर- लॉर्ड वेलेजली
✌️संधि- मैसूर की गद्दी पर अडयार वंश का एक बालक कृष्णराज बैठा (टीपू सुल्तान की मृत्यु)
🎯आँग्ल मराठा युद्ध-
➡️ पहला युद्ध -
✌️प्रथम ऑग्ल-मराठा युद्ध- 1775- 1782 ई.
✌️सालबाई की संधि (1782 ई.)
✌️अंग्रेजों को सालसेट तथा एलीफैंटा द्वीप प्राप्त हुआ, माधव राव नारायण पेशवा बना तथा राघोबा को पेंशन दी गयी
➡️ दूसरा युद्ध -
✌️द्वितीय ऑग्ल- मराठा युद्ध- 1803- 1806 ई.
✌️संधि-
1. देवगाँव की संधि (17 दिसंबर, 1803)- अंग्रेजों एवं भोसले के मध्य
2. सूरजी-अर्जन गाँव की संधि (30 दिसंबर, 1803) अंग्रेजों एवं सिन्धिया के मध्य
3. राजपुर घाट की संधि (25 दिसंबर, 1805) - लॉर्ड वेलेस्ली के जाने के बाद जॉर्ज बार्लो द्वारा होल्कर से संधि की गयी।
➡️ तीसरा युद्ध -
✌️तृतीय ऑग्ल-मराठा युद्ध- 1817- 1818 ई
✌️पूना की संधि, ग्वालियर की संधि, मंदसौर की संधि
✌️समस्त मराठा क्षेत्र ब्रिटिश सत्ता के अधीन हो गया पेशवा पद समाप्त कर दिया गया, बाजीराव द्वितीय को पेंशन देकर बिठूर भेज दिया गया।
🎯आँग्ल-सिख युद्ध-
➡️ पहला युद्ध -
✌️प्रथम आँग्ल सिक्ख युद्ध (1845-46 ई.)
✌️सिक्ख शासक-
दिलीप सिंह (वजीर- लाल सिंह सेनापति- तेजा सिंह)
✌️गवर्नर / गवर्नर जनरल- लॉर्ड हार्डिंग
✌️संधि- लाहौर की संधि
✌️अंग्रेजों ने दिलीप सिंह को 'महाराजा' की पदवी दी।
➡️ दूसरा युद्ध -
✌️द्वितीय आँग्ल- सिक्ख युद्ध (1848-49 ई.)
✌️सिक्ख शासक- दिलीप सिंह
✌️गवर्नर / गवर्नर जनरल- लॉर्ड डलहौजी
✌️संधि- अमृतसर की संधि
✌️दिलीप सिंह से कोहिनूर हीरा लेकर ब्रिटिश ताज के पास भेजा गया
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🎯अमेरिकी क्रांति-
Sukhvinder Jaglan ✍️ ©
✌️ बोस्टन टी पार्टी की घटना ➡️
16 दिसंबर, 1773 को (सैम्युल एडम्स के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाज से चाय की 340 पेटियां समुद्र में फेंक दी गई थीं)
✌️ क्रांति की शुरुआत ➡️
19 अप्रैल, 1775 को (लेक्सिंग्टन में सैनिक विद्रोह से)
✌️ क्रांति के प्रमुख नायक ➡️
जार्ज वांशिगटन (बाद में अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बनें)
✌️क्रांति का नारा ➡️
प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं
✌️ ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ➡️
4 जुलाई, 1776 को फिलाडेल्फिया में से स्वतंत्रता की घोषणा
✌️क्रांति की समाप्ति ➡️
1783 में पेरिस संधि से
🎯फ्रांस की क्रांति-
✌️क्रांति की शुरुआत ➡️
14 जुलाई, 1789 को (बास्तील के शास्त्रागार एवं कारागृह पर आक्रमण से)
✌️क्रांति के समय फ्रांस का शासक ➡️
लुई 16वाँ (इसको फांसी दी गई)
✌️क्रांति के विचारक ➡️
माँटेक्यू, वॉल्टेयर तथा रूसो
✌️क्रांति का नारा ➡️
स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व
✌️क्रांति की उपज था ➡️
नेपोलियन बोनापार्ट
🎯रूस की बोल्शेविक क्रांति-
✌️क्रांति वर्ष ➡️
1917 ई.
✌️क्रांति के समय रूसी शासक ➡️
जार निकोलस द्वितीय
✌️क्रांति का नायक ➡️
लेनिन
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Sukhvinder Jaglan
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🎯पोषण एवं विटामिन-
Sukhvinder Jaglan ✍️ ©
परिभाषा- शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करना। सभी प्रकार के भोज्य पदार्थों में मुख्यतः 6 प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।
✌️प्रमुख पोषक तत्व-
1. कार्बोहाइड्रेट
2. वसा
3. प्रोटीन
4. जल
5. खनिज
6. विटामिन्स
7. न्यूक्लिक अम्ल
✌️पोषक तत्वों का वर्गीकरण-
1.संरचना की दृष्टि से-
A.कार्बनिक श्रेणी-
कार्बोहाइड्रेट,वसा,प्रोटीन,विटामिन,
न्यूक्लिक अम्ल
B.अकार्बनिक श्रेणी
खनिज,जल
2.मात्रा की दृष्टि से-
A.दीर्घपोषक (Macronutrients)-
कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन,वसा
B.लघु पोषक (Micronutrients)-
जल, खनिज, विटामिन, न्यूक्लिक-अम्ल
3.कार्य की दृष्टि से-
👉कार्बोहाइड्रेट्स- ऊर्जा उत्पादक
👉वसा- ऊर्जा उत्पादक
👉प्रोटीन- शरीर का निर्माण
👉विटामिन- उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण व नियमन
👉न्यूक्लिक अम्ल- प्रोटीन संश्लेषण
👉खनिज लवण- उपापचयी क्रियाओं
का नियंत्रण व नियमन
👉जल- उपापचयी क्रियाएं
✌️विटामिन-
👉खोजकर्ता- कैसिमिर फंक (पोलैंड निवासी)
👉अन्य नाम- वृद्धि तत्व, सहायक
आहार कारक
👉विटामिन सिद्धांत का प्रतिपादन-
हॉपकिंस, कैसिमिर फंक
👉विटामिन D, K और B_{12} का संश्लेषण हमारे शरीर में होता है।
✌️विटामिन के प्रकार-
1.जल में घुलनशील- विटामिन B,C
2.वसा में घुलनशील- विटामिन A,D,E,K
✌️प्रमुख विटामिन्स, स्रोत व कमी से होने वाले रोग-
1.विटामिन A-
👉अन्य नाम रेटिनॉल
👉रोग-रतौंधी, जीरोप्थैलमिया,
त्वचा की कोशिका में
परिवर्तन, निक्टेलोपिया
👉स्रोत- गाजर, हरी सब्जियां, दूध. यकृत, मछली का तेल
2.विटामिन B1-
👉अन्य नाम थायमीन
👉रोग- बेरी-बेरी, वृद्धि रुकना
👉स्रोत- अनाज, फलियां,
सोयाबीन, दूध आदि
3.विटामिन B2-
👉अन्य नाम राइबोफ्लेविन, Vitamin G
👉रोग- कीलोसिस, जिह्वा का फटना
👉स्रोत पनीर, अंडे, यीस्ट, मांस, पत्तेदार सब्जियां आदि
4.विटामिन B3-
👉अन्य नाम-नियासिन/निकोटिनिक अम्ल , एंटी-प्लैग्रेरिक विटामिन
👉रोग- पेलाग्रा/चर्मदाह, 4D-Syndrome, डायरिया, डेमेंशिया
👉स्रोत- यीस्ट, मांस, मछली, अंडे, दूध, फलियां आदि
5.विटामिन B5-
👉अन्य नाम- पैंटोथीनिक अम्ल
👉रोग- चर्मरोग, सफेद बाल, पैरों में जलन, मंद बुद्धि होना
👉स्रोत-अंडे, दूध, मांस व मूंगफली
6.विटामिन B6-
👉अन्य- नाम पाइरीडॉक्सिन, साईडरोब्लास्टिक
👉रोग- रक्तक्षीणता, चर्मरोग, पेशीय ऐंठन
👉स्रोत- दूध, यीस्ट, अनाज व मांस
7.विटामिन B7-
👉अन्य- नाम बायोटिन, Vitamin H
👉रोग-चर्मरोग, बालों का झड़ना
👉स्रोत-मांस, गेहूं, अंडा, सब्जी, फल आदि
8.विटामिन B9-
👉अन्य नाम -फोलिक अम्ल, Vitamin M,Folate
👉रोग- रक्तक्षीणता, कुंठित वृद्धि,मैगाब्लास्टोसिस एनीमिया
👉स्रोत- हरी सब्जियां, फलियां, यीस्ट, मांस, अंडे आदि
9.विटामिन B12-
👉अन्य नाम- सायनोकोबालामिन
👉रोग- घातक रक्तक्षीणता,
तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी
👉स्रोत -मांस, मछली, अण्डे
दूध, आंत्र के जीवाणु
नोट - बरसात के पानी में पाया जाता है
10.विटामिन C-
👉अन्य नाम- एस्कॉर्बिक अम्ल
👉रोग- स्कर्वी रोग
👉स्रोत- आंवला, नींबू वंश के फल, टमाटर व सब्जियां
11. विटामिन D-
👉अन्य नाम - कैल्सीफेरॉल
👉रोग- सूखा रोग (रिकेट्स),
आस्टियोमैलेसिया
👉स्रोत- मक्खन, मछली का तेल, अंडा तथा सूर्य प्रकाश में संश्लेषण
12. विटामिन E-
👉अन्य नाम- टोकोफेरॉल, Beauty Vitamin
👉रोग- जनन क्षमता की कमी, जननांग तथा पेशियों की कमजोरी
👉स्रोत- तेल, गेहूं, अंडे की जर्दी, सोयाबीन
13.विटामिन K-
👉अन्य नाम- फिलोक्विनोन
👉रोग- चोट लगने पर रक्त का थक्का न जमना
👉स्रोत- आंत के बैक्टीरिया, हरी सब्जियां, अंडा व सोयाबीन
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शास्त्रीय नृत्य | भारत के राज्यों के लोक नृत्य
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नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology):
Sukhvinder Jaglan ✍️ ©
टोपोलॉजी नेटवर्क में कम्प्यूटरों को जोड़ने का कार्य करती है जिसके द्वारा विभिन्न कम्प्यूटर्स परस्पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. बस टोपोलॉजी (Bus Topology)-
बस टोपोलॉजी में नोड्स एक लम्बे केबल (BUS) के माध्यम से जुड़े होते हैं। इस नेटवर्क का प्रयोग अल्पकालीन ब्रॉडकास्टिंग के लिए होता है। इसकी कीमत बहुत कम होती है तथा यह प्रायः LAN में प्रयोग किया जाता है।
✌️बस टोपोलॉजी के लाभ-
1.इसकी कीमत बहुत कम होती है।
2.छोटे नेटवर्क में प्रयोग किया जाता है।
3.दो केबल को आपस में जोड़कर नेटवर्क को आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
✌️बस टोपोलॉजी की हानि-
1.केबल की लम्बाई सीमित होती है।
2. केबल के खराब होने पर पूरा नेटवर्क खराब हो जाता है।
3.यह रिंग टोपोलॉजी से धीमी गति में कार्य करता है।
4.नेटवर्क ट्रैफिक अधिक होने पर कनेक्टेड नोड की परफॉर्मेन्स भी कम हो जाती है।
2. स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) -
स्टार टोपोलॉजी में नोड्स एक सेंट्रल कंट्रोलिंग डिवाइस के माध्यम से आपस में जुड़े रहते हैं। इसमें सेंट्रल कंट्रोलिंग डिवाइस के रूप में हब, स्विच या राउटर का प्रयोग किया जाता है।हब, नेटवर्क के किसी भी नोड से प्राप्त सिग्नल को सभी नोड्स के लिए दोबारा ब्रॉडकास्ट करता है।
✌️स्टार टोपोलॉजी के लाभ-
1.हब को आसानी से अपग्रेड किया जा सकता है।
2.इसका सेटअप तथा मॉडीफिकेशन बड़ी सरलता से किया जा सकता है।
3.किसी एक नोड के खराब हो जाने पर भी अन्य नोड आसानी से कार्य कर सकते हैं।
4. नेटवर्क ट्रैफिक कम तथा कार्यक्षमता गति अधिक होती है।
✌️स्टार टोपोलॉजी के हानि-
1.इसकी सेटअप लागत अधिक होती है। जिससे इसका उपयोग महँगा होता है।
2. हब पर सभी नोड निर्भर होते हैं तथा हब के खराब हो जाने पर सम्पूर्ण नेटवर्क नष्ट हो जाता है।
3. मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology)-
इस टोपोलॉजी में प्रत्येक नोड अन्य सभी नोड से जुड़ी होती है। यह सबसे महँगी टोपोलॉजी है तथा बस और स्टार दोनों टोपोलॉजी का सम्मिश्रण है। मेश टोपोलॉजी में किसी डिवाइस के फेल होने से केवल एक नोड प्रभावित होता है पूरे नेटवर्क पर इसका कोई नहीं पड़ता है।
टोपोलॉजी में प्रत्येक नोड (उपकरण) को एक दूसरे से जोड़ने के लिए आवश्यक समर्पित लिंक्स (Dedicated Links) की संख्या को ज्ञात करना - कनेक्टेड लिंक्स की संख्या = N(N-1)2
✌️मेश टोपोलॉजी के लाभ-
1.प्रत्येक कनेक्शन अपने डाटा लोड को ले जाता है।
2.यह सिक्योरिटी तथा प्राइवेसी प्रदान करता है।
3.इस टोपोलॉजी में कमी (Fault) को आसानी से ढूँढ़ा जा सकता है।
✌️मेश टोपोलॉजी के हानि-
1.मेश टोपोलॉजी को इन्स्टॉल तथा कन्फिगर करना मुश्किल होता है।
2.केबल कॉस्ट काफी मँहगा होता है।
3.बल्क वायरिंग की भी आवश्यकता होती है।
4.रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)-
इसमें सभी कम्प्यूटर एक गोलाकार आकृति में अपने अधीनस्थ कम्प्यूटर से जुड़े होते हैं। इसे सर्कुलर टोपोलॉजी भी कहा जाता है। इसमें टर्मिनल इंड न होने के कारण डाटा सिग्नल एक सर्कल में ट्रैवेल करता है।
✌️रिंग टोपोलॉजी के लाभ-
1.रिंग टोपोलॉजी का इंस्टॉलेशन तथा इसे एक्सपैन्ड करना आसान होता है।
2.अधिक नोड्स को जोड़ने पर भी हैवी ट्रैफिक के कारण ट्रांसमिटिंग नेटवर्क प्रभावित नहीं होता।
✌️रिंग टोपोलॉजी के हानि-
1.इसमें ट्रबल शूटिंग कठिन होता है। 2.किसी नोड (कम्प्यूटर) को जोड़ने या हटाने पर पूरे नेटवर्क की एक्टिविटी प्रभावित होती है।
3.एक कम्प्यूटर के खराब होने से पूरा नेटवर्क खराब हो जाता है।
5. ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)-
ट्री टोपोलॉजी के अन्तर्गत एक नोड से दूसरी नोड तथा दूसरा नोड से तीसरा नोड, किसी पेड़ के शाखाओं की तरह आपस में जुड़ी होती है।
✌️ट्री टोपोलॉजी के लाभ-
1.यह बस तथा स्टार टोपोलॉजी का ही मिश्रित रूप है।
2.एरर को आसानी से पहचानकर सुधारा जा सकता है।
3.आसानी से व्यवस्थित किया जा सकता है।
4.अन्य नोड्स को आसानी से जोड़ा जा सकता है।
✌️ट्री टोपोलॉजी के हानि-
1.सेन्ट्रल हब के फेल होने पर पूरा नेटवर्क फेल हो जाता है।
2.अधिक नोड्स के जुड़ने पर ट्री टोपोलॉजी को व्यवस्थित रखना कठिन हो जाता है।
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